यह ब्लॉग खोजें

27 जनवरी, 2014

"बकरे बकरी" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')


मेरी बालकृति नन्हें सुमन से
बालकविता
"बकरे बकरी"
इस बाल-कविता को सुनिए-
अर्चना चावजी के स्वर में-
IMG_1523
रबड़ प्लाण्ट का वृक्ष लगा है,
मेरे घर के आगे!
पत्ते खाने बकरे-बकरी,
आये भागे-भागे!
 
हुए बहुत मायूसधरा पर
पत्ता कोई न पाया!
इन्हे उदास देखकर मैंने,
अपना हाथ बढ़ाया!!

झटपट पत्ता तोड़ पेड़ से,
हाथों में लहराया!
इन भोले-भाले जीवों का,
मन था अब ललचाया!!
 IMG_1515
आँखों में आशा लेकर,
सब मेरे पास चले आये!
उचक-उचककर बड़े चाव से
सबने पत्ते खाये!!

दुनिया के जीवों का,
यदि तुम प्यार चाहते पाना!
भूखों को सच्चे मन से
तुम भोजन सदा खिलाना!!

6 टिप्‍पणियां:

केवल संयत और शालीन टिप्पणी ही प्रकाशित की जा सकेंगी! यदि आपकी टिप्पणी प्रकाशित न हो तो निराश न हों। कुछ टिप्पणियाँ स्पैम भी हो जाती है, जिन्हें यथासम्भव प्रकाशित कर दिया जाता है।