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09 जनवरी, 2014

"मधुमक्खी" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')

मेरी बालकृति नन्हें सुमन से
 
बालकविता
"मधुमक्खी" 
honey-bee 
मधुमक्खी है नाम तुम्हारा।   
शहद बनाती कितना सारा।। 

इसको छत्ते में रखती हो।  
लेकिन कभी नही चखती हो।। IMG_1108 
कंजूसी इतनी करती हो।  
रोज तिजोरी को भरती हो।। 

दान-पुण्य का काम नही है।  
दया-धर्म का नाम नही है।। 

इक दिन डाका पड़ जायेगा।  
शहद-मोम सब उड़ जायेगा।। 

मिट जायेगा यह घर-बार।  
लुट जायेगा यह संसार।। 

जो मिल-बाँट हमेशा खाता।  
कभी नही वो है पछताता।।

1 टिप्पणी:

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