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05 जनवरी, 2014

"टर्र-टर्र मेंढक टर्राए" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')

मेरी बालकृति नन्हें सुमन से
 
"टर्र-टर्र मेंढक टर्राए"
टर्र-टर्र मेंढक टर्राए!
शायद वर्षा जल्दी आये!
बाजारों में आम आ गये,
अमलतास पर फूल छा गये,
लेकिन बारिस नजर न आये! 

टर्र-टर्र मेंढक टर्राए!
शायद वर्षा जल्दी आये! 
सूख गये सब ताल-तलैय्या, 
छोटू कहाँ चलाए नैय्या!
सबको गर्मी बहुत सताए! 

टर्र-टर्र मेंढक टर्राए!
शायद वर्षा जल्दी आये!

5 टिप्‍पणियां:

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