नही किसी से भेद-भाव और वैर कभी रखता है,
सूर्य उदय होने पर जीवों में जीवन आता है, |
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04 अप्रैल, 2010
‘‘हमारा सूरज’’ (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री ‘‘मयंक’’)
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नही किसी से भेद-भाव और वैर कभी रखता है,
सूर्य उदय होने पर जीवों में जीवन आता है, |
बहुत सुन्दर, सहज कविता, हमेशा की तरह.
जवाब देंहटाएंबेहतरीन। लाजवाब।
जवाब देंहटाएंaap hamare sahitya jagat ke suraj he jo ham sab par andhkari agayanta par satya ka prakash dal rahe he
जवाब देंहटाएंaap ko badhai
bahut achi kavita he ye
बेहतरीन।
मनमोहक और ख़ूबसूरत ! बहुत ही सुन्दरता से आपने प्रस्तुत किया है!
जवाब देंहटाएंnice
जवाब देंहटाएंsundar , sargarbhit , sahaj aur ek behtreen kavita.
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
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