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21 जनवरी, 2017

बालगीत "मेरी प्यारी मुनिया" (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री ‘मयंक’)

 
इतनी जल्दी क्या है बिटिया, 
सिर पर पल्लू लाने की।
अभी उम्र है गुड्डे-गुड़ियों के संग,
समय बिताने की।।


मम्मी-पापा तुम्हें देख कर,
मन ही मन हर्षाते हैं।
जब वो नन्ही सी बेटी की,
छवि आखों में पाते है।।

जब आयेगा समय सुहाना, 
देंगे हम उपहार तुम्हें।
तन मन धन से सब सौगातें, 
देंगे बारम्बार तुम्हें।।

दादी-बाबा की प्यारी, 
तुम सबकी राजदुलारी हो।
घर आंगन की बगिया की, 
तुम मनमोहक फुलवारी हो।।

सबकी आँखों में बसती हो, 
इस घर की तुम दुनिया हो।
प्राची तुम हो बड़ी सलोनी, 
मेरी प्यारी मुनिया हो।।

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