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27 जनवरी, 2017

बालगीत "प्रकाश का पुंज हमारा सूरज" (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री ‘मयंक’)


पूरब से जो उगता है और पश्चिम में छिप जाता है।
यह प्रकाश का पुंज हमारा सूरज कहलाता है।। 
रुकता नही कभी भी चलता रहता सदा नियम से, 
दुनिया को नियमित होने का पाठ पढ़ा जाता है। 
यह प्रकाश का पुंज हमारा सूरज कहलाता है।। 
नही किसी से भेद-भाव ये बैर कभी रखता है, 
सदा हितैषी रहने की शिक्षा हमको दे जाता है। 
यह प्रकाश का पुंज हमारा सूरज कहलाता है।। 
सूर्य उदय होने पर जीवों में जीवन आता है,
सबके लिए समानरूप से सुख की बारिश बरसाता है,
यह प्रकाश का पुंज हमारा सूरज कहलाता है।। 
दूर क्षितिज में रहकर तुम सबको जीवन देते हो, 
भुवन-भास्कर तुमको सब जग शीश नवाता है। 
यह प्रकाश का पुंज हमारा सूरज कहलाता है।।

1 टिप्पणी:

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