कह दिया मेरे सुमन ने आज सुन्दर। तार वीणा के बजे बिन साज सुन्दर ।।
ज्ञान की गंगा बही, विज्ञान पुलकित हो गया, आकाश झंकृत हो गया, संसार हर्षित हो गया, नाम से माँ के हुआ आगाज़ सुन्दर । तार वीणा के बजे बिन साज सुन्दर ।।
बेसुरे से राग में, अनुराग भरने को चला हूँ, मैं बिना पतवार, सरिता पार करने को चला हूँ, माँ कृपा करदो, बनें सब काज सुन्दर । तार वीणा के बजे बिन साज सुन्दर ।।
वन्दना है आपसे, रसना में माँ रस-धार दो, लेखनी चलती रहे, शब्दो को माँ आधार दो, असुर भागें, हो सुरो का राज सुन्दर । तार वीणा के बजे बिन साज सुन्दर ।। |
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