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25 फ़रवरी, 2010

“आई होली! आई होली!!” (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री “मयंक”)

आयी होली, आई होली।
रंग-बिरंगी आई होली।

मुन्नी आओ, चुन्नी आओ,
रंग भरी पिचकारी लाओ,

मिल-जुल कर खेलेंगे होली।
रंग-बिरंगी आई होली।।

मठरी खाओ, गुँजिया खाओ,
पीला-लाल गुलाल उड़ाओ,

मस्ती लेकर आई होली।
रंग-बिरंगी आई होली।।

रंगों की बौछार कहीं है,

ठण्डे जल की धार कहीं है,
भीग रही टोली की टोली।
रंग-बिरंगी आई होली।।

परसों विद्यालय जाना है,

होम-वर्क भी जँचवाना है,
मेहनत से पढ़ना हमजोली।
रंग-बिरंगी आई होली।।

9 टिप्‍पणियां:

  1. मेहनत से पढ़ना हमजोली।
    रंग-बिरंगी आई होली.nice

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  2. Bahut sundar rachana baccho ko tyohar aur padhai dono ke maze lene ki sikh deti hui!!
    Sadar

    जवाब देंहटाएं
  3. chalo bachchon main bhi aai, abeer gulal saath mein laai.......holi haiiiiiiiiiiii

    जवाब देंहटाएं
  4. परसों विद्यालय जाना है,
    होम-वर्क भी जँचवाना है,
    मेहनत से पढ़ना हमजोली।
    रंग-बिरंगी आई होली।।

    bahut badhiya holi ka bal geet hai.

    जवाब देंहटाएं
  5. मठरी खाओ, गुँजिया खाओ,
    पीला-लाल गुलाल उड़ाओ,
    मस्ती लेकर आई होली।
    रंग-बिरंगी आई होली।।

    HOLI KI SHUBHKAAMNAAYEN.

    जवाब देंहटाएं
  6. मयंक जी!
    सुन्दर बाल गीत के लिए बधाई!

    जवाब देंहटाएं

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