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27 फ़रवरी, 2010

"कम्प्यूटर" (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री “मयंक”)


 
यह मेरा कम्प्यूटर प्यारा,
इसमें ज्ञान भरा है सारा।

भइया इससे नेट चलाते,
नई-नई बातें बतलाते।
यह प्रश्नों का उत्तर देता,
पल भर में गणना कर लेता।


माउस, सी.पी.यू, मानीटर,
मिलकर बन जाता कम्प्यूटर।
इसमें ही की-बोर्ड लगाते,
जिससे भाषा को लिख पाते।

नया जमाना अब है आया,
हमने नया खजाना पाया।
बड़ा अनोखा है यह ट्यूटर,
सभी सीख लो अब कम्प्यूटर।
(चित्र गूगल सर्च से साभार)

7 टिप्‍पणियां:

  1. कम्प्यूटर तो अब
    ट्यूटर है

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  2. एक पत्र मयंक जी के नाम...

    महोदय
    आपके इस पोस्ट की जितनी भी तारीफ की जाए कम है.इस कविता में आपने बड़े सहज ढंग से कंप्यूटर की परिभाषा को प्रस्तुत कर कंप्यूटर के छात्र छात्र्राओं जिन्हें कंप्यूटर की परिभाषा याद नहीं हो पाती है को कंप्यूटर को परिभाषित करने का एक आसन तरीका बता दिया ...
    इतना हीं नहीं जितने भी कंप्यूटर के इंस्टिट्यूट है उन्हें मार्केटिंग का एक फंडा भी दे दिया.
    इस सुन्दर कविता के लिए बधाई..

    आपका
    अरशद अली
    राष्ट्रीय कंप्यूटर प्रशिक्षण परियाजना (रांची)

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  3. अरशद अली जी के कहने के बाद कुछ बचा ही नही कहने को……………………बहुत ही सुन्दर गीत्।
    होली की बधायी।

    जवाब देंहटाएं
  4. कम्पूटर के बारे में पूरी जानकारी देते हुए खूबसूरत रचना.....बधाई

    होली की शुभकामनायें

    जवाब देंहटाएं

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