गंजापन ढकने को टोपी,
मेरे सिर पर रहती है।
ठिठुरन से रक्षा करती हूँ ,
बार-बार यह कहती है।।
देखो अपनी गाँधी टोपी,
सारे जग से न्यारी है।
आन-बान भारत की है ये,
हमको लगती प्यारी है।।
लालबहादुर और जवाहर जी ने,
इसको धार लिया।
भारत का सिंहासन इनको,
टोपी ने उपहार दिया।।
टोपी पहिन सुभाषचन्द्र,
लाखों में पहचाना जाता।
टोपी वाले नेता का कद,
ऊँचा है माना जाता।।
लाखों में पहचाना जाता।
टोपी वाले नेता का कद,
ऊँचा है माना जाता।।
खादी की टोपी, धोती,
कुर्ते, की शान निराली है।
बिना पढ़े ही ये पण्डित,
का मान दिलाने वाली है।।
टोपी पहन सलामी,
अपने झण्डे को हम देते हैं।
राष्ट्र हेतु मर-मिटने का प्रण,
हम खुश होकर लेते है।।
(चित्र गूगल से साभार) |
बहुत बढ़िया टोपी की महिमा...सुन्दर रचना..
जवाब देंहटाएंwaah waah........topi ka gungaan bahut hi sundar kavit ake roop mein kiya hai..............badhayi
जवाब देंहटाएंbahut khoob
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया!
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