जिसमें नींद चैन की आती।
वो मच्छर-दानी कहलाती।।
लाल-गुलाबी और हैं धानी।
नीली-पीली बड़ी सुहानी।।
छोटी, बड़ी और दरम्यानी।
कई तरह की मच्छर-दानी।।
इसको खोलो और लगाओ।
बिस्तर पर सुख से सो जाओ।।
जब ठण्डक कम हो जाती है।
गरमी और बारिश आती है।।
तब मच्छर हैं बहुत सताते।
भिन-भिन करके शोर मचाते।।
खून चूस कर दम लेते हैं।
डेंगू-फीवर कर देते हैं।।
मच्छर से छुटकारा पाओ।
मच्छरदानी को अपनाओ।। |
वाह शास्त्री जी कोई जवाब नही...बहुत बढ़िया गुनगुनाती हुए सुंदर कविता...बधाई
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया...मच्छरदानी की उपयोगिता!
जवाब देंहटाएंबढ़िया सीख और अच्छी रचना...
जवाब देंहटाएंsundar sikh deti kavita.
जवाब देंहटाएंBhadiya sandesh liye bhadiya rachana..!!
जवाब देंहटाएंजिसमें नींद चैन की आती।
जवाब देंहटाएंवो मच्छर-दानी कहलाती।।
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वर्तमान में इससे सच्ची बात
कोई दूसरी तो हो ही नहीं सकती!