यह ब्लॉग खोजें

13 मार्च, 2010

"गैस सिलेण्डर" (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')


गैस सिलेण्डर कितना प्यारा।


मम्मी की आँखों का तारा।।



रेगूलेटर अच्छा लाना।


सही ढंग से इसे लगाना।।



गैस सिलेण्डर है वरदान।


यह रसोई-घर की है शान।।



दूघ पकाओ, चाय बनाओ।


मनचाहे पकवान बनाओ।।



बिजली अगर नही है घर में।


यह प्रकाश देता पल भर में।।



बाथरूम में इसे लगाओ।


गर्म-गर्म पानी से न्हाओ।।



बीत गया है वक्त पुराना।


अब आया है नया जमाना।।



जंगल से लकड़ी मत लाना।


बड़ा सहज है गैस जलाना।।



किन्तु सुरक्षा को अपनाना।


इसे कार में नही लगाना।


(चित्र गूगल सर्च से साभार)

13 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत सुंदर गीत। मयंक जी का तो कोई जवाब ही नहीं है। जिस पर चाहो उस पर तुरत गीत लो। परंतु नाराज हो जाएंगे गैस के पाईप और चूल्‍हे कि हमें क्‍यों छोड़ दिया है, हम पर भी गीत लिखो। हम पर भी सार्थक बुनो। हमें भी बढि़या लगाना। फिर नहीं आएगा जोखिम का तराना।

    जवाब देंहटाएं
  2. न तो कविता का कोई जवाब है और न ही आपका..बस शब्द चाहिए और सुंदर भाव से सजी कविता सामने...
    बहुत बढ़िया लगी यह आपकी गीत...

    जवाब देंहटाएं
  3. बहुत ही सुन्दरता से आपने गैस सिलिंडर पर गीत प्रस्तुत किया है! आपका जवाब नहीं शास्त्री जी चाहे वो रचना हो या गीत हर एक पोस्ट आपका लाजवाब होता है! ये तो माँ सरस्वती की देन है और आप हर चीज़ पर इतनी खूबसूरती से लिखते हैं की पढ़ने को भी अच्छा लगता है और ज्ञान भी मिलती है!

    जवाब देंहटाएं
  4. mayank ji apki ji gas sylander par apki kavita vahut achi lagi dhanaybad

    जवाब देंहटाएं
  5. mayank ji apki gas sylander par apki kavita vahut achi lagi dhanaybad

    जवाब देंहटाएं
  6. mayank ji apki gas sylander par apki kavita vahut achi lagi dhanaybad

    जवाब देंहटाएं
  7. वाह बहुत सुन्दर आप धीरे धीरे बच्चों को घर की हर चीज के बारे मे कविता के माध्यम से अच्छी सीख देते हैं। बधाई इस रचना के लिये।

    जवाब देंहटाएं
  8. वाह .. हर शब्‍द पर गीत .. शास्‍त्री जी का क्‍या कहना !!

    जवाब देंहटाएं
  9. yahi to aapki khoobi hai...........har shabd par rachna bana dete hain.......bahut sundar.

    जवाब देंहटाएं
  10. बाल गीत के माध्यम से बड़ों को भी सीख मिल रही है....बहुत अच्छी रचना..

    जवाब देंहटाएं
  11. आपकी रचना पढ़ी। पढ़कर लगा कि आप कठिन सी कठिन बात को बेहद सुगमता से कहने की कला में माहिर है। यह आसान नहीं है। कठिन हो जाना तो सरल होता है लेकिन मुझे लगता है सरल होना ज्यादा कठिन काम है। सरल होने की जो कठिनाई आप उठा रहे हैं उसके लिए मेरी बधाई स्वीकारें। आप मुझ से उम्र में बड़े है। समय-समय पर सलाह भी देते रहे।

    जवाब देंहटाएं

केवल संयत और शालीन टिप्पणी ही प्रकाशित की जा सकेंगी! यदि आपकी टिप्पणी प्रकाशित न हो तो निराश न हों। कुछ टिप्पणियाँ स्पैम भी हो जाती है, जिन्हें यथासम्भव प्रकाशित कर दिया जाता है।