तितली आई! तितली आई!! रंग-बिरंगी, तितली आई।। कितने सुन्दर पंख तुम्हारे। आँखों को लगते हैं प्यारे।। फूलों पर खुश हो मँडलाती। अपनी धुन में हो इठलाती।। जब आती बरसात सुहानी। पुरवा चलती है मस्तानी।। तब तुम अपनी चाल दिखाती। लहरा कर उड़ती बलखाती।। पर जल्दी ही थक जाती हो। दीवारों पर सुस्ताती हो।। बच्चों के मन को भाती हो। इसीलिए पकड़ी जाती हो।। (चित्र गूगल सर्च से साभार) |
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19 मार्च, 2010
‘‘रंग-बिरंगी तितली आई’’ (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री “मयंक”)
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बहुत अच्छी बाल कविता।
जवाब देंहटाएंबहुत प्यारी बाल कविता ...सुन्दर
जवाब देंहटाएंnice
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