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17 मार्च, 2010

‘‘प्यारी प्राची’’ (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री ‘मयंक’)

 
इतनी जल्दी क्या है बिटिया,
सिर पर पल्लू लाने की।
अभी उम्र है गुड्डे-गुड़ियों के संग,
समय बिताने की।।
(चित्र गूगल सर्च से साभार)

मम्मी-पापा तुम्हें देख कर,
मन ही मन हर्षाते हैं।
जब वो नन्ही सी बेटी की,
छवि आखों में पाते है।।


जब आयेगा समय सुहाना,
देंगे हम उपहार तुम्हें।
तन मन धन से सब सौगातें,
देंगे बारम्बार तुम्हें।।

दादी-बाबा की प्यारी,
तुम सबकी राजदुलारी हो।
घर आंगन की बगिया की,
तुम मनमोहक फुलवारी हो।।

सबकी आँखों में बसती हो,
इस घर की तुम दुनिया हो।
प्राची तुम हो बड़ी सलोनी,
इक प्यारी सी मुनिया हो।।

7 टिप्‍पणियां:

  1. Are waah...
    bahut hi pyari bitiya raani..
    ekdam sahi baat kahi itni jaldi kya hai gori :)
    abhi to bas maze karo , gudde-gudiyon ke saath..
    bahut hi sundar bal kavita..
    hamara bhi bachpan yaad aagaya..:)
    jo sabse acche din the..
    aapka bahut bahut aabhar..

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  2. प्राची तुम हो बड़ी सलोनी,
    इक प्यारी सी मुनिया हो।।
    Waakai Prachi bitiya to bahut pyari hai ..to usake liye likhi gai yah rachana pyari kese na ho ??

    Prachi ko dher sara pyar aur aapko dhanywad is sundar rachana ke liye !!

    जवाब देंहटाएं
  3. मम्मी-पापा तुम्हें देख कर,
    मन ही मन हर्षाते हैं।
    जब वो नन्ही सी बेटी की,
    छवि आखों में पाते है।।

    बहुत प्यारी रचना...और उससे भी प्यारी प्राची बिटिया....मन को छू गयी ये रचना...

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  4. बहुत सुंदर रचना .. और प्राची के बारे में कहना ही क्‍या ?

    जवाब देंहटाएं
  5. waah waah waah ..........bahut hi rasmay, bhavmay,hriday bhav vibhor kar diya.

    prachi ko bahut bahut pyar.........bhagwan use zindagi ki sabhi khushiyan de.

    जवाब देंहटाएं
  6. प्यारी कविता ...प्यारी सी प्राची

    जवाब देंहटाएं

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