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09 फ़रवरी, 2010

“तार वीणा के बजे बिन साज सुन्दर।” (मयंक)

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कह दिया मेरे सुमन ने आज सुन्दर।
तार वीणा के बजे बिन साज 
सुन्दर ।।

ज्ञान की गंगा बही, विज्ञान पुलकित हो गया,
आकाश झंकृत हो गया, संसार हर्षित हो गया,
नाम से माँ के हुआ आगाज़ 
सुन्दर 
तार वीणा के बजे बिन साज 
सुन्दर ।।

बेसुरे से राग में, अनुराग भरने को चला हूँ,
मैं बिना पतवार, सरिता पार करने को चला हूँ,
माँ कृपा करदो, बनें सब काज 
सुन्दर 
तार वीणा के बजे बिन साज 
सुन्दर ।।

वन्दना है आपसे, रसना में माँ रस-धार दो,
लेखनी चलती रहे, शब्दो को माँ आधार दो,
असुर भागें, हो सुरो का राज 
सुन्दर 
तार वीणा के बजे बिन साज 
सुन्दर ।।

18 टिप्‍पणियां:

  1. असुर भागें, हो सुरो का राज नाइस।
    तार वीणा के बजे बिन साज नाइस।।

    बहुत नाईस. शुभकामनाएं.

    रामराम.

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  2. नाईस -शब्द ही ब्रह्म है साबित हो गया

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  3. बहुत सुंदर प्रार्थना .. ये ब्‍लॉग तो मैने नहीं देखा था !!

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  4. बहुत ही नाइस , पतवारें तो होती बहाना हैं , दम अपना कोई भुलाए न |

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  5. बहुत ख़ूबसूरत रचना लिखा है आपने! बधाई!

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  6. कह दिया मेरे सुमन ने आज नाइस।
    तार वीणा के बजे बिन साज नाइस।। nice



    thanks sir ji

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  7. नाम से माँ के हुआ आगाज़ नाइस।
    तार वीणा के बजे बिन साज नाइस।।

    बढ़िया आगाज के लिए बधाई ।

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  8. तार वीणा के बजे बिन साज नाइस।।सुंदर रचना..nice..nice...nice...kmalesh

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  9. ज्ञान की गंगा बही, विज्ञान पुलकित हो गया,
    आकाश झंकृत हो गया, संसार हर्षित हो गया,
    नाम से माँ के हुआ आगाज़ नाइस।
    तार वीणा के बजे बिन साज नाइस।।


    bahut hi khubsurat Prarthna...

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  10. हा हा हा
    मुझे नहीं पता था कि नाइस पर भी एक पोस्ट लिखी गई है :)

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  11. bhut khub nyaa or bhut ahchaa andaaz he mzaa aa gyaa mubark ho dusri mubarkbaad dipaavli ki bhi svikaaren. akhtar khan akela kota rajsthan

    जवाब देंहटाएं

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