मेरी बालकृति नन्हें सुमन से![]() एक बालकविता"यह है मेरी काली कार" यह है मेरी काली कार। करती हूँ मैं इसको प्यार।। जब यह फर्राटे भरती है, बिल्कुल शोर नही करती है, सिर्फ घूमते चक्के चार। करती हूँ मैं इसको प्यार।। जब छुट्टी का दिन आता है, करना सफर हमें भाता है, हम इससे जाते हरद्वार। करती हूँ मैं इसको प्यार।। गीत, गजल और भजन-कीर्तन, सुनो मजे से, जब भी हो मन, मंजिल यह कर देती पार। करती हूँ मैं इसको प्यार।। |
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28 नवंबर, 2013
"यह है मेरी काली कार" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
24 नवंबर, 2013
"सीधा प्राणी गधा कहाता" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
20 नवंबर, 2013
“तोते उड़ते पंख पसार” (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
मेरी बालकृति नन्हें सुमन से![]() एक बालकविता "तोते उड़ते पंख पसार"
नीला नभ जिनका संसार।
वो उड़ते हैं पंख पसार।।
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जब कोई भी थक जाता है।
वो डाली पर सुस्ताता है।।
तोता पेड़ों का बासिन्दा।
कहलाता आजाद परिन्दा।।
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खाने का सामान धरा है।
पर मन में अवसाद भरा है।।
लोहे का हो या कंचन का।
बन्धन दोनों में तन मन का।।
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अत्याचार कभी मत करना।
मत इसको पिंजडे में धरना।।
कारावास बहुत दुखदायी।
जेल नहीं होती सुखदायी।।
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मत देना इसको अवसाद।
करना तोते को आज़ाद।।
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16 नवंबर, 2013
"वानर" (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
मेरी बालकृति नन्हें सुमन से![]() एक बालकविता "वानर" ![]() जंगल में कपीश का मन्दिर। जिसमें पूजा करते बन्दर।। ![]() कभी यह ऊपर को बढ़ता। डाल पकड़ पीपल पर चढ़ता।। ![]() ऊपर जाता, नीचे आता। कभी न आलस इसे सताता।। उछल-कूद वानर करता है। बहुत कुलाँचे यह भरता है।। |
12 नवंबर, 2013
"सेबों का मौसम" (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
07 नवंबर, 2013
"खों-खों करके बहुत डराता" (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
03 नवंबर, 2013
"टॉम-फिरंगी" (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
मेरी बालकृति नन्हें सुमन से![]() एक बाल कविता "टॉम-फिरंगी"
टॉम-फिरंगी प्यारे-प्यारे।
दोनों चौकीदार हमारे।।
हमको ये लगते हैं अच्छे।
दोनों ही हैं सीधे-सच्चे।।
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जब हम इनको हैं नहलाते।
ये खुश हो साबुन मलवाते।।
बाँध चेन में इनको लाते।
बाबा कंघी से सहलाते।।
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इन्हें नहीं कहना बाहर के।
संगी-साथी ये घरभर के।।
ये दोनों हैं बहुत सलोने।
सुन्दर से जीवन्त खिलौने।।
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