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14 नवंबर, 2012

"चाचा नेहरू को नमन" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')

बच्चों के प्यारे चाचा नेहरू को
शत्-शत् नमन!

जिस दिन लाल जवाहर ने था,
जन्म जगत में पाया।
उसका जन्मदिवस भारत में
बाल दिवस कहलाया।।

मोती लाल पिता बैरिस्टर,
माता थी स्वरूप रानी।
छोड़ सभी आराम-ऐश को,
राह चुनी थी बेगानी।।
त्याग वकालत को नेहरू ने,
गांधी का पथ अपनाया।
उसका जन्मदिवस भारत में
बाल दिवस कहलाया।।

आजादी पाने की खातिर,
वीरों ने बलिदान दिया।
अमर सपूतों ने पग-पग पर ,
अपमानों का पान किया।
दमन चक्र से जो गोरों के,
कभी नहीं घबराया।
उसका जन्मदिवस भारत में
बाल दिवस कहलाया।।

दागे नहीं तोप से गोले,
ना बरछी तलवार उठायी।
सत्य-अहिंसा के बल पर,
खोई आजादी पायी।
अनशन करकेअंग्रेजों से,
शासन वापिस पाया।
उसका जन्मदिवस भारत में
बाल दिवस कहलाया।।

बच्चों को जो सदा प्यार से,
हँसकर गले लगाता था।
इसीलिए तो लाल जवाहर,
चाचा जी कहलाता था
अपने जन्मदिवस को जिसने,
बालकदिवस बनाया।
उसका जन्मदिवस भारत में
बाल दिवस कहलाया।।

शासक था स्वदेश का पहला,
अपना प्यारा चाचा।
नवभारत के निर्माता का,
मन था सीधा-साचा।
उद्योगों का जिसने,
चौबिस घंटे चक्र चलाया।
उसका जन्मदिवस भारत में
बाल दिवस कहलाया।।

10 नवंबर, 2012

“खों-खों करके बहुत डराता” (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री ‘मयंक’)


दीपावली की शुभकामनाओं के साथ
एक बाल कविता
बिना सहारे और सीढ़ी के,
झटपट पेड़ों पर चढ़ जाता।
बच्चों और बड़ों को भी ये,
खों-खों करके बहुत डराता।
 
कोई इसको वानर कहता,
कोई हनूमान बतलाता।
मानव का पुरखा बन्दर है,
यह विज्ञान हमें सिखलाता।
 
गली-मुहल्ले, नगर गाँव में,
इसे मदारी खूब नचाता।
बच्चों को ये खूब हँसाता,
पैसा माँग-माँग कर लाता।

 
कुनबे भर का पेट पालता,
लाठी से कितना घबराता।
तान डुगडुगी की सुन करके,
अपने करतब को दिखलाता।