कभी न करना जादू-टोना।
अपने पैर पसार चुका है,
पूरी दुनिया में कोरोना।।
बाहर नहीं निकलना घर से,
घर में पूरा समय बिताओ।
हर घंटे हाथों को धोओ,
साफ-सफाई को अपनाओ।
अपनी पुस्तक को दोहराओ,
यह अनमोल समय मत खोना।
अपने पैर पसार चुका है,
पूरी दुनिया में कोरोना।।
शीतल पेय कभी मत पीना,
आइसक्रीम अभी मत खाना।
ताजा-ताजा भोजन खाओ,
नियम सुरक्षा के अपनाना।
दिनचर्या को करो नियम से,
जल्दी उठना, जल्दी सोना।
अपने पैर पसार चुका है,
पूरी दुनिया में कोरोना।।
अच्छी सीख बड़ों की मानो,
बे-मतलब की जिद मत करना।
सच्ची बातों को कहने में,
कभी किसी से तुम मत डरना।
सुमनों से मित्रता निभाना,
मन के मनके सदा पिरोना।
अपने पैर पसार चुका है,
पूरी दुनिया में कोरोना।।
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01 अप्रैल, 2020
बालगीत "पूरी दुनिया में कोरोना" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
27 अक्तूबर, 2018
बालकविता "सब बच्चों का प्यारा मामा" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
सारे जग से न्यारा मामा।
सब बच्चों का प्यारा मामा।।
नभ में कैसा दमक रहा है।
चन्दा कितना चमक रहा है।।
कभी बड़ा छोटा हो जाता।
और कभी मोटा हो जाता।।
करवाचौथ पर्व जब आता।
चन्दा का महत्व बढ़ जाता।।
महिलायें छत पर जा करके।
आसमान तकतीं जी भरके।।
यह सुहाग का शुभ दाता है।
इसीलिए पूजा जाता है।।
जब नभ में बादल छा जाता।
तब ‘मयंक’ का पता न पाता।।
लुका-छिपी का खेल दिखाता।
छिपता कभी प्रकट हो जाता।।
धवल चाँदनी लेकर आता।
आँखों को शीतल कर जाता।।
यह नभ से अमृत टपकाता।
सबको इसका ‘रूप’ सुहाता।।
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21 मार्च, 2018
विश्व कविता-दिवस "भूखी गइया कचरा चरती" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
विश्व कविता दिवस पर
प्रस्तुत है आज एक बाल कविता
सड़क किनारे जो भी पाया,
पेट उसी से यह भरती है।
मोहनभोग समझकर,
भूखी गइया कचरा चरती है।।
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08 मार्च, 2017
बालगीत "होली का मौसम अब आया" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
रंग-गुलाल साथ में लाया।
होली का मौसम अब आया।
पिचकारी फिर से आई हैं,
बच्चों के मन को भाई हैं,
तन-मन में आनन्द समाया।
होली का मौसम अब आया।।

गुझिया थाली में पसरी हैं,
पकवानों की महक भरी हैं,
मठरी ने मन को ललचाया।
होली का मौसम अब आया।।

बरफी की है शान निराली,
भरी हुई है पूरी थाली,
अम्मा जी ने इसे बनाया।
होली का मौसम अब आया।।
मम्मी बोली पहले खाओ,
उसके बाद खेलने जाओ,
सूरज ने मुखड़ा चमकाया।
होली का मौसम अब आया।
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