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28 मई, 2014
21 मई, 2014
"देखो एक मदारी आया" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
मेरी बालकृति "नन्हें सुमन" से
![]() एक बाल कविता "देखो एक मदारी आया" ![]() देखो एक मदारी आया। अपने संग लाठी भी लाया।। डम-डम डमरू बजा रहा है। भालू, बन्दर नचा रहा है।। लम्बे काले बालों वाला। भालू का अन्दाज निराला।। खेल अनोखे दिखलाता है। बच्चों के मन को भाता है।। ![]() वानर है कितना शैतान। पकड़ रहा भालू के कान।। यह अपनी धुन में ऐँठा है। भालू के ऊपर बैठा है।। लिए कटोरा पेट दिखाता। माँग-माँग कर पैसे लाता।। |
17 मई, 2014
"बिल्ली मौसी क्यों इतना गुस्सा खाती हो" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
मेरी बालकृति "नन्हें सुमन" से
![]() एक बाल कविता "बिल्ली मौसी क्यों इतना गुस्सा खाती हो" ![]() बिल्ली मौसी बिल्ली मौसी, क्यों इतना गुस्सा खाती हो। कान खड़ेकर बिना वजह ही, रूप भयानक दिखलाती हो।। ![]() मैं गणेश जी का वाहन हूँ, मैं दुनिया में भाग्यवान हूँ।। चाल समझता हूँ सब तेरी, गुणी, चतुर और ज्ञानवान हूँ। ![]() छल और कपट भरा है मन में, धोखा क्यों जग को देती हो? मैं नही झाँसे में आऊँगा, आँख मूँद कर क्यों बैठी हो? |
09 मई, 2014
"खरबूजे का मौसम आया" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक")
मेरी बालकृति "नन्हें सुमन" से
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एक बालकविता
"खरबूजों का मौसम आया"
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05 मई, 2014
"सब्जी पर मँहगाई भारी" (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
मेरी बालकृति "नन्हें सुमन" से
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एक बालकविता
![]() बिकते आलू,बैंगन,भिण्डी।। कच्चे केले, पक्के केले। मटर, टमाटर के हैं ठेले।। गोभी,पालक,मिर्च हरी है। धनिये से टोकरी भरी है।। लौकी, तोरी और परबल हैं। पीले-पीले सीताफल हैं।। अचरज में है जनता सारी, सब्जी पर महँगाई भारी।। |
01 मई, 2014
♥ ♥ मन ख़ुशियों से फूला ♥ ♥ डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक"
मेरी बालकृति "नन्हें सुमन" से
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एक बालकविता
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उमस-भरा गरमी का मौसम,
तन से बहे पसीना!
कड़ी धूप में कैसे खेलूँ,
इसने सुख है छीना!!
कुल्फी बहुत सुहाती मुझको,
भाती है ठंडाई!
दूध गरम ना अच्छा लगता,
शीतल सुखद मलाई!!
पंखा झलकर हाथ थके जब,
मैंने झूला झूला!
ठंडी-ठंडी हवा लगी तब,
मन ख़ुशियों से फूला!!
♥ (चित्र में : प्राची) ♥
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