मेरी साईकिल
दो चक्कों की प्यारी-प्यारी।
आओ इस पर करें सवारी।।
साईकिल की शान निराली।
इसकी चाल बहुत मतवाली।।
बस्ते का यह भार उठाती।
मुझको विद्यालय पहुँचाती।।
पैडल मारो जोर लगाओ।
मस्त चाल से इसे चलाओ।।
सड़क देख कर खूब मचलती।
पगडण्डी पर सरपट चलती।
हटो-बचो मत शब्द पुकारो।
भीड़ देखकर घण्टी मारो।।
अच्छे अंक क्लास में लाओ।
छुट्टी में इसको टहलाओ।।
यह पैट्रोल नहीं है खाती।
बिन ईंधन के चलती जाती।।
vaah sir vaah aapki kavita par ke apnay bachpan ke din yaad aa gayay jab cycle se central school jaya kartay thay welldone sir
जवाब देंहटाएंमेरी धन्नो (बचपन मे मेरी साईकल का नाम) याद आ गयी
जवाब देंहटाएंअच्छी बाल कविता
धन्यवाद
मजेदार है साईकिल की कविता
जवाब देंहटाएंnice
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया सवारी ...और अच्छी बालकविता
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर बाल कविता ..
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी कविता नानाजी ....मुझे भी साईकिल चलाना बहुत अच्छा लगता है
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