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14 अगस्त, 2011

"अल्मौड़ा की बॉलमिठाई" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक")

मेरे पापा गये हुए थे,
परसों नैनीताल।
मेरे लिए वहाँ से लाए,
वो यह मीठा माल।।

खोए से यह बनी हुई है,
जो टॉफी का स्वाद जगाती।
मीठी-मीठी बॉल लगी हैं,
मुझको बहुत पसंद है आती।।

कभी पहाड़ों पर जाओ तो,
इसको भी ले आना भाई।
भूल न जाना खास चीज है,
अल्मौड़ा की बॉलमिठाई।।

रक्षाबन्धन के अवसर पर,
यह मेरे भइया ने खाई।
उसके बाद बहुत खुश होकर,
मुझसे राखी भी बंधवाई।।

16 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी बाल कविताएं मुझे बेहद प्रिय हैं।

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  2. waah man meetha ho gayaa,shabdon se aur mithai se v bahut pasand hai mujhe bhi bal mithai...

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  3. बहुत सुन्दर बाल गीत...आभार

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  4. सुन्दर बाल गीत... अल्मौड़ा की बॉलमिठाई मुझे भी अच्छी लगती है..।

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  5. अरे वाह...मुंह में पानी आ गया .... हैप्पी राखी

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  6. कौन कहता है कि यह बाल गीत है। मुझे तो यह गाने में मानसिक सुख प्राप्त हुआ।

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  7. बॉलमिठाई मुझे भी प्रिय है ,इसका स्वाद ले चुका हूं । सुंदर बॉलमिठाई-गीत

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  8. जो स्वाद हमें बचपन में भाया हो, उसका मन में सारी उम्र एक विषेश स्थान रहता है!

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  9. नैनीताल में कहाँ मिलती है, यह भी बता दें, जिससे खरीदने में आसानी होगी।

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  10. आप बच्चों के लिए भी उतनी ही सुन्दर रचना कर लेते हैं जितनी बड़ों के लिए ! कमाल है. आपकी लेखनी को सलाम.

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  11. श्री मान जी नमस्कार
    बाल कविता बहुत अच्छी लगी बॉलमिठाई कभी
    खाई नहीं है कभी चक्कर लगेगा तो जरुर खाऊंगा

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  12. बहुत सुन्दर बाल गीत...आभार

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  13. ये तो मेरी मन पसंद मिठाई है..गाँव जाते समय रामनगर से ले जाना नहीं भूलती..
    बहुत बढ़िया लगा मिठाई और गीत गीत पढ़कर...खुशबु से आ गयी ...
    प्रस्तुति के लिए आभार!

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