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03 अगस्त, 2013

"लिखना-पढ़ना सिखला दो" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक.)

मेरी बालकृति "नन्हें सुमन" से
एक बालकविता
"लिखना-पढ़ना सिखला दो"
भैया! मुझको भी,
लिखना-पढ़ना, सिखला दो।
क.ख.ग.घ, ए.बी.सी.डी,
गिनती भी बतला दो।।

पढ़ लिख कर मैं,
मम्मी-पापा जैसे काम करूँगी।
दुनिया भर में,
बापू जैसा अपना नाम करूँगी।।

रोज-सवेरे, साथ-तुम्हारे,
मैं भी उठा करूँगी।
पुस्तक लेकर पढ़ने में,
मैं संग में जुटा करूँगी।।

बस्ता लेकर विद्यालय में,
मुझको भी जाना है।
इण्टरवल में टिफन खोल कर,
खाना भी खाना है।।

छुट्टी में गुड़िया को,
ए.बी.सी.डी, सिखलाऊँगी।
उसके लिए पेंसिल और,
इक कापी भी लाऊँगी।।

3 टिप्‍पणियां:

  1. nt
    भावानुवाद सुन्दर बन पड़ा है साथ में मूल रचना भी होती। ॐ शान्ति (नहीं )

    सौदेश्य बाल कविता अर्थ पूर्ण भाव पूर्ण

    जवाब देंहटाएं
  2. सुंदर प्रस्तुति
    आभार गुरु जी-

    जवाब देंहटाएं

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