मेरी बालकृति "नन्हें सुमन" से
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एक बालकविता
"चिड़िया रानी"
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चिड़िया रानी फुदक-फुदक कर,
मीठा राग सुनाती हो।
आनन-फानन में उड़ करके,
आसमान तक जाती हो।।
मेरे अगर पंख होते तो,
मैं भी नभ तक हो आता।
पेड़ो के ऊपर जा करके,
ताजे-मीठे फल खाता।।
जब मन करता मैं उड़ कर के,
नानी जी के घर जाता।
आसमान में कलाबाजियाँ कर के,
सबको दिखलाता।।
सूरज उगने से पहले तुम,
नित्य-प्रति उठ जाती हो।
चीं-चीं, चूँ-चूँ वाले स्वर से ,
मुझको रोज जगाती हो।।
तुम मुझको सन्देशा देती,
रोज सवेरे उठा करो।
अपनी पुस्तक को ले करके,
पढ़ने में नित जुटा करो।।
चिड़िया रानी बड़ी सयानी,
कितनी मेहनत करती हो।
एक-एक दाना बीन-बीन कर,
पेट हमेशा भरती हो।।
अपने कामों से मेहनत का,
पथ हमको दिखलाती हो।।
जीवन श्रम के लिए बना है,
सीख यही सिखलाती हो।
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07 अगस्त, 2013
"चिड़िया रानी" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक.)
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![[sperrow.jpg]](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEg-Tgd05x2zILPoA5kULq1JaFWGtt_GwYnpAemLBqkggQO8IVmtfMaD7b0iPZKzLIAZCEmXqTwYOJ1DZggwmzkmep26S-8HLo0S1GF7KkLLRXbfqCA257pV2dm3Ov-XJTRgSvCuTlLl-1Hh/s400/sperrow.jpg)
बहुत बढिया बाल गीत..
जवाब देंहटाएंबच्चों के लिए प्यारी सी बाल कविता के लिए आपको बधाई !
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