मेरी बालकृति नन्हें सुमन से
बालकविता
"बकरे बकरी"
इस बाल-कविता को सुनिए-
अर्चना चावजी के स्वर में-
अर्चना चावजी के स्वर में-
रबड़ प्लाण्ट का वृक्ष लगा है,
मेरे घर के आगे!
पत्ते खाने बकरे-बकरी,
आये भागे-भागे!
हुए बहुत मायूस, धरा पर
पत्ता कोई न पाया!
इन्हे उदास देखकर मैंने,
अपना हाथ बढ़ाया!!
झटपट पत्ता तोड़ पेड़ से,
हाथों में लहराया!
इन भोले-भाले जीवों का,
मन था अब ललचाया!!
आँखों में आशा लेकर,
सब मेरे पास चले आये!
उचक-उचककर बड़े चाव से
सबने पत्ते खाये!!
दुनिया के जीवों का,
यदि तुम प्यार चाहते पाना!
भूखों को सच्चे मन से
तुम भोजन सदा खिलाना!!
जानवर तो प्यार के भूखे होते हैं ...
जवाब देंहटाएंअच्छी बाल रचना है ... नमस्कार शास्त्री जी ...
सुंदर बाल कविता
जवाब देंहटाएंबहुत प्यारी कविता
जवाब देंहटाएंआप सभी लोगो का मैं अपने ब्लॉग पर स्वागत करता हूँ मैंने भी एक ब्लॉग बनाया है मैं चाहता हूँ आप सभी मेरा ब्लॉग पर एक बार आकर सुझाव अवश्य दें
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bahut sundar bal kavita .
जवाब देंहटाएंBAHUT SUNDAR BAL KAVITA
जवाब देंहटाएंsundar baal kavita
जवाब देंहटाएंबहुत प्यारी कविता
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