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20 मार्च, 2022

विश्व गौरैया दिवस "प्यारी गौरैया" (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री ‘मयंक’)

 

आज विश्व गौरय्या दिवस है!
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खेतों में विष भरा हुआ है,
ज़हरीले हैं ताल-तलय्या।
दाना-दुनका खाने वाली,
कैसे बचे यहाँ गौरय्या?
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अन्न उगाने के लालच में,
ज़हर भरी हम खाद लगाते,
खाकर जहरीले भोजन को,
रोगों को हम पास बुलाते,
घटती जाती हैं दुनिया में,
अपनी ये प्यारी गौरय्या।
दाना-दुनका खाने वाली,
कैसे बचे यहाँ गौरय्या?
--
चिड़िया का तो छोटा तन है,
छोटे तन में छोटा मन है,
विष को नहीं पचा पाती है,
इसीलिए तो मर जाती है,
सुबह जगाने वाली जग को,
अपनी ये प्यारी गौरय्या।।
दाना-दुनका खाने वाली,
कैसे बचे यहाँ गौरय्या?
--
गिद्धों के अस्तित्व लुप्त हैं,
चिड़ियाएँ भी अब विलुप्त हैं,
खुशियों में मातम पसरा है,
अपनी बंजर हुई धरा है,
नहीं दिखाई देती हमको,
अपनी ये प्यारी गौरय्या।।
दाना-दुनका खाने वाली,
कैसे बचे यहाँ गौरय्या?
--

4 टिप्‍पणियां:

  1. गौरैया के विलुप्त होने के कारणों पर प्रकाश डालती सुंदर रचना

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  2. विलुप्त होती गोरैया का कारण स्पष्ट करती बहुत ही सुंदर रचना।
    वाह!!!

    जवाब देंहटाएं
  3. खेतों में विष भरा हुआ है,
    ज़हरीले हैं ताल-तलय्या।
    दाना-दुनका खाने वाली,
    कैसे बचे यहाँ गौरय्या?.... सच कहा सर आपने कैसे बचे गौरैया।
    सादर

    जवाब देंहटाएं

  4. गिद्धों के अस्तित्व लुप्त हैं,
    चिड़ियाएँ भी अब विलुप्त हैं,
    खुशियों में मातम पसरा है,
    अपनी बंजर हुई धरा है,
    नहीं दिखाई देती हमको,
    अपनी ये प्यारी गौरय्या।।
    दाना-दुनका खाने वाली,
    कैसे बचे यहाँ गौरय्या?
    गौरैया के विलुप्त होते जाने पर लिखी सुन्दर रचना !

    जवाब देंहटाएं

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