यह है अपना चिंकू प्यारा। पूरे घर का राजदुलारा।। मन का अच्छा तन का काला। घर भर का सच्चा रखवाला।। हरदम रहता है चौकन्ना। बड़े प्यार से खाता गन्ना।। खुश हो करके नित्य नहाता। अंडा-मांस नहीं ये खाता।। लगता है भोला-भण्डारी। पर दुश्मन चोरों का भारी।। कभी न करता लापरवाही। बिन वेतन का सजग सिपाही।। |
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29 मार्च, 2022
बालकविता "बिन वेतन का सजग सिपाही" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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सुंदर बालकविता "बिन वेतन का सजग सिपाही"
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