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18 फ़रवरी, 2010

“संगीता स्वरूप का बालगीत” (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री “मयंक”)

“चूहे की होली” 


 चूहा  खेल रहा था होली।
रंगो की लेकर रंगोली।।

भर पिचकारी उसने मारी।
बिल्ली  मौसी भीगी सारी।।

अब बिल्ली को गुस्सा आया।
उसने चूहे को धमकाया।।

चूहा थर-थर काँप रहा था। 
डरकर माफ़ी  मांग रहा था।।

हंस कर तब बिल्ली ये बोली।
होली है भई , है भई  होली।।

चूहा  ये सुनकर मुस्काया। 
उसने लाल गुलाल  उड़ाया।।

दोनों ने त्यौहार मनाया।
होली का हुडदंग  मचाया।।

sangitaswaroop
(संगीता स्वरूप)
 

15 टिप्‍पणियां:

  1. वाह संगीता जी ! होली का सही मतलब आपने सहज तरीके से बाल गीत में बता दिया....यही है होली... जहाँ दुश्मन भी गले मिलकर रंग खेलते हैं...बहुत सुंदर

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  2. waaaaaaaaaaaaah bahut maza aaya ye poem padh kar...ek baar to laga ham play school me baithe hai..aur ye rhymes ga rahe hai...jhoom jhoom kar.
    bahut acchhi rachna...aage bhi intzar rahega.

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  3. सबसे पहले टिप्पणी मैं कर रही हूँ अपनी ही रचना पर....

    मैं श्री रूपचंद्र शास्त्री जी को धन्यवाद देना चाहती हूँ जिन्होंने इस रचना को सुधार है और मनमोहक बनाया है...और चित्र भी बहुत सुन्दर लगाया है...धन्यवाद

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  4. सुन्दर गीत, होली क सही अर्थ अताता...आपको धन्यवाद संगीत जी!
    सादर
    रानीविशाल

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  5. hehhehehe...Mumma AUnty...maza aagaya..jaisa aap janti hain..k mera mood bada kharab sa tha..magar aapkebaal geet ne mere baal man ko khush kar diya..bahut mohak si pyari si kavita hui..:)

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  6. बहुत सुन्दर गीत. संगीता जी को बधाई.

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  7. मजेदार
    आपकी रचना से होली के मूड में समय से काफी पहले आ गया

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  8. wah DI,Ek shaandar Kavita, chulbuli si
    lekin bahut hi gehra matlab batai hui , holi ke tyohaar ka

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  9. are waah.........sangeeta ji aapne to masumiyat se rang laga diya , bahut pyaari rachna

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  10. बहुत सुन्दर कविता..मजा आ गया...सच है..होली में तो सब बराबर हैं...

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  11. स्वरूप जी और शास्त्री जी!
    मेरा आभार स्वीकारें। बचपन को अपने भीतर जिलाए रख कर ही बच्चों के लिए रचा जा सकता है।

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  12. bahut bahut bahut sundar kavita...bachpan ki yaad dila gayi aapki kavita..
    Sangeeta ji aap ko aur Shastri ji dono hi prashansha ke patr hain..
    bahut bahut aabhaar..

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  13. sangeeta ji bahut hi sundar tarike se aapne holi ka mahattava samjh adiya........bahut hi sundar kavita.

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  14. संगीता स्वरूप जी का
    मनभाता बालगीत पढ़कर
    मन प्रसन्न हो गया!
    इस सुंदर रचना के लिए उनको
    तथा
    इस सुंदर रचना के
    अति सुंदर प्रस्तुतीकरण के लिए
    मयंक जी को बधाई!

    --
    कह रहीं बालियाँ गेहूँ की - "वसंत फिर आता है - मेरे लिए,
    नवसुर में कोयल गाता है - मीठा-मीठा-मीठा! "
    --
    संपादक : सरस पायस

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