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11 जून, 2010

"चन्दा-मामा" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक")

!! चन्दा-मामा !!
नभ में कैसा दमक रहा है। 
चन्दा मामा चमक रहा है।।

कभी बड़ा मोटा हो जाता। 
और कभी छोटा हो जाता।।


करवा-चौथ पर्व जब आता। 
चन्दा का महत्व बढ़ जाता।। 

मम्मीजी छत पर जाकर के। 
इसको तकती हैं जी-भर के।। 

यह सुहाग का शुभ दाता है। 
इसीलिए पूजा जाता है।।

जब भी बादल छा जाता है। 
तब "मयंक" शरमा जाता है।।

लुका-छिपी का खेल दिखाता। 
छिपता कभी प्रकट हो जाता।।


 धवल चाँदनी लेकर आता। 
आँखों को शीतल कर जाता।। 

सारे जग से न्यारा मामा। 
सब बच्चों का प्यारा मामा।।


(सभी चित्र गूगल सर्च से साभार)

9 टिप्‍पणियां:

  1. लुका-छिपी का खेल दिखाता।
    छिपता कभी प्रकट हो जाता।।
    सरलता से व्यक्त करना आपकी विशेषता है. सुन्दर बाल रचना

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  2. सुंदर शास्त्री जी बहुत सुंदर बाल गीत..सबसे प्यारा चंदा मामा...बेहतरीन बधाई

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  3. चंदा मामा पर बहुत सुन्दर बालगीत...और चित्र बहुत सुन्दर हैं

    जवाब देंहटाएं
  4. वाह वाह वाह वाह्…………बहुत ही सुन्दर बाल कविता।

    जवाब देंहटाएं
  5. वाह वाह्…………बहुत ही सुन्दर कमाल की कविता

    जवाब देंहटाएं

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