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22 नवंबर, 2011

"बेटी कुदरत का उपहार" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक")


बिटियारानी कितनी प्यारी।
घर भर की है राजकुमारी।।

भोली-भाली सौम्य-सरल है।
कलियों जैसी यह कोमल है।।

देवी जैसी पावन सूरत।
ममता की है जीवित मूरत।।

बेटी कुदरत का उपहार।
आओ इसको करें दुलार।।

19 टिप्‍पणियां:

  1. बेटियाँ वाकई कुदरत का बेहतरीन उपहार हैं.
    सुन्दर रचना.

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  2. उत्तम भावों की गहन अभिव्यक्ति

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  3. कुदरत का बेहतरीन उपहार बेटियाँ होती है काश ये बात सबको समझ आ जाये।

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  4. इसमें कोई संदेह नहीं कि बेटियाँ कुदरत का अनुपम उपहार है, कविता में आपने भाव विह्वल कर दिया, बहुत ही सुन्दर रचना है यह,बधाईयाँ !

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  5. बेटियाँ वाकई कुदरत की उपहार हैं
    सुन्दर रचना

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  6. बेटियां सच में कुदरत का अनमोल तोहफा होती हैं....
    सुंदर रचना।

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  7. कुदरत के बेहतरीन उपहार बेटी पर लिखी यह रचना मन को छूती है।

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  8. आदरणीय डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री मयंक जी
    सादर प्रणाम !

    बेटी कुदरत का उपहार।
    आओ इसको करें दुलार।।

    बहुत सुंदर रचना है …

    बधाई और मंगलकामनाओं सहित…
    - राजेन्द्र स्वर्णकार

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  9. कोई संदेह नहीं शत प्रतिशत सहमत अच्छी रचना

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  10. बहुत ही प्यारी कविता...थैंक्यू अंकल बेटियों को इतना प्यार देने केलिए...

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  11. बेटियाँ वाकई कुदरत का बेहतरीन उपहार हैं

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