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07 सितंबर, 2013

"सब्जी मण्डी" (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री ‘मयंक’)

मेरी बालकृति "नन्हें सुमन" से
एक बालकविता
"सब्जी मण्डी"
Vegetable_market_in_Heraklion
देखो-देखो सब्जी-मण्डी, 
बिकते आलू,बैंगन,भिण्डी।

कच्चे केले, पक्के केले,
मटर, टमाटर के हैं ठेले।

गोभी,पालक,मिर्च हरी है,
धनिये से टोकरी भरी है।

लौकी, तोरी और परबल हैं,
पीले-पीले सीताफल हैं।

अचरज में है जनता सारी,
सब्जी-मण्डी कितनी प्यारी।

4 टिप्‍पणियां:

  1. मित्र के स्वास्थ्य की कामनाओं सहित अच्छी बाल -रचना !

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  3. आजकल तो सब्जियों के दाम देखकर कोई हिम्मत नहीं कर रहा है ..खाने की ..लेकिन आपने सारी सब्जियों के नाम याद दिलाती शानदार बाल रचना ..हार्दिक बढ़ाई के साथ

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