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15 जनवरी, 2017

बालकविता "मीठा रस पीकर जीता है" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')

गुन-गुन करता भँवरा आया।
कलियों फूलों पर मंडराया।।

यह गुंजन करता उपवन में।
गीत सुनाता है कानन में।।

कितना काला इसका तन है।
किन्तु बड़ा ही उजला मन है।

जामुन जैसी शोभा न्यारी।
खुशबू इसको लगती प्यारी।।

यह फूलों का रस पीता है।
मीठा रस पीकर जीता है।।

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