
मुर्गा बोला नहीं जगाता
अब तुम जागो अपने आप।
कितनी घडियाँ और मोबाइल
रखते हो तुम अनाप-शनाप।
मैं भी जगता मोबाइल से
तुम्हें जगाना मुश्किल है
कब से जगा रहा हूँ तुमको
तू क्या मेरा मुवक्किल है।
समय पे सोना, समय पे जगना
जो भी करेगा समय पे काम
समय बड़ा बलवान जगत में
समय करेगा उसका नाम।
--------
दीन दयाल शर्मा (बाल साहित्यकार)
अध्यक्ष,
राजस्थान साहित्य परिषद्
हनुमानगढ़ संगम-335512
mob. 9414514666







अति हर चीज की अच्छी नहीं होती है और अब तो वर्षा की अति हो चुकी है
सुन्दर् रचना
गीत अच्छा है,
लेकिन अब तो यही मन हो रहा है
कि बरखा रानी फिर से कुछ दिनों के लिए रूठ जाएँ!
इस बार की बारिश पर बिलकुल सटीक रचना ...अति हर चीज़ की बुरी होती है ..