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02 सितंबर, 2010

“गंगा-गइया बहुत महान” (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री “मयंक”)

cow1 मेरी गइया सबसे न्यारी।
यह मुझको लगती है प्यारी।।


मम्मी इसको जब दिख जाती।
जोर-जोर से यह रम्भाती।।


मैं जब विद्यालय से आता।
अपनी गइया को सहलाता।। 
PRANJAL_COWतब यह गर्दन करती ऊपर।
रखने को मेरे काँधे पर।।


भोली-भाली इसकी सूरत।
ममता की यह लगती मूरत।।
images (6) गंगा-गइया बहुत महान।
ये हैं भारत की पहचान।।


स्वर्ग हमें धरती पर लाना।
इसीलिए है इन्हें बचाना।।

7 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत ख़ूबसूरत बाल कविता! सुन्दर प्रस्तुती!

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  2. आज इसी की जरूरत है ……………………।दोनो को ही बचाना है…………………सुन्दर सन्देश देती कविता।

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