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15 दिसंबर, 2010

"कच्चे घर अच्छे रहते हैं" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक")

सुन्दर-सुन्दर सबसे न्यारा।
प्राची का घर सबसे प्यारा।।

खुला-खुला सा नील गगन है।
हरा-भरा फैला आँगन है।।

पेड़ों की छाया सुखदायी।
सूरज ने किरणें चमकाई।।

कल-कल का है नाद सुनाती।
निर्मल नदिया बहती जाती।।

तन-मन खुशियों से भर जाता।
यहाँ प्रदूषण नहीं सताता।।

लोग पुराने यह कहते हैं।
कच्चे घर अच्छे रहते हैं।।

8 टिप्‍पणियां:

  1. वाह! आपने तो कविता के माध्यम से कच्चे घरो की अहमियत बता दी…………बहुत सुन्दर बाल कविता।

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  2. बहुत सुंदर चित्र के साथ बढ़िया कविता!

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  3. सच प्राची दी का घर सबसे न्यारा है ...बहुत सुन्दर कविता और चित्र भी .
    धन्यवाद नानाजी
    अनुष्का

    जवाब देंहटाएं

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