यह ब्लॉग खोजें

07 अक्तूबर, 2013

"आयी रेल" (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')

मेरी बालकृति नन्हें सुमन से
 एक बालकविता
"आयी रेल"

धक्का-मुक्की रेलम-पेल।
आयी रेल-आयी रेल।।

इंजन चलता सबसे आगे।
पीछे -पीछे डिब्बे भागे।।
हार्न बजाता, धुआँ छोड़ता।
पटरी पर यह तेज दौड़ता।।

जब स्टेशन आ जाता है।
सिग्नल पर यह रुक जाता है।।
जब तक बत्ती लाल रहेगी।
इसकी जीरो चाल रहेगी।।
हरा रंग जब हो जाता है।
तब आगे को बढ़ जाता है।।

बच्चों को यह बहुत सुहाती।
नानी के घर तक ले जाती।।
छुक-छुक करती आती रेल।
आओ मिल कर खेलें खेल।।
धक्का-मुक्की रेलम-पेल।
आयी रेल-आयी रेल।।

3 टिप्‍पणियां:

केवल संयत और शालीन टिप्पणी ही प्रकाशित की जा सकेंगी! यदि आपकी टिप्पणी प्रकाशित न हो तो निराश न हों। कुछ टिप्पणियाँ स्पैम भी हो जाती है, जिन्हें यथासम्भव प्रकाशित कर दिया जाता है।