मेरी बालकृति नन्हें सुमन से![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhqt4lM5xa_Oi5YL5-vD6GrSCXydqLha3pV4Cks44Hg9093KGBDFlEXAGFapT6ixRDzD6T3E-qXYCp7qWGChks884yJ3puDdzP0ypaWEYOdJ0Xoky6m7YWVP9lV-LbRI0Oapk-UDpkwpTWK/s400/rose_garden_s+copy.jpg)
एक बाल कविता "सेबों का मौसम" देख-देख मन ललचाया है सेवों का मौसम आया है । कितना सुन्दर रूप तुम्हारा।
लाल रंग है प्यारा-प्यारा।।
प्राची ने है एक उठाया।
खाने को है मुँह फैलाया।।
भइया ने दो सेव उठाये।
दोनों हाथों में लहराये।।
प्राची कहती मत ललचाओ।
जल्दी से इनको खा जाओ।।
सेव नित्यप्रति जो खाता है।
वो ताकतवर बन जाता है।। |
अति सुन्दर बाल रचना..
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