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28 नवंबर, 2013

"यह है मेरी काली कार" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')

मेरी बालकृति नन्हें सुमन से

एक बालकविता"यह है मेरी काली कार"

यह है मेरी काली कार।
करती हूँ मैं इसको प्यार।। 

जब यह फर्राटे भरती है, 
बिल्कुल शोर नही करती है, 
सिर्फ घूमते चक्के चार।  
करती हूँ मैं इसको प्यार।।

जब छुट्टी का दिन आता है, 
करना सफर हमें भाता है, 
हम इससे जाते हरद्वार। 
करती हूँ मैं इसको प्यार।।

गीत, गजल और भजन-कीर्तन, 
सुनो मजे से, जब भी हो मन, 
मंजिल यह कर देती पार। 
करती हूँ मैं इसको प्यार।।

3 टिप्‍पणियां:

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