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06 दिसंबर, 2013

"डस्टर कष्ट बहुत देता है" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')

मेरी बालकृति नन्हें सुमन से

एक बालकविता 
"डस्टर कष्ट बहुत देता है"

खुद तो धूल भरा होता है,
लेकिन सबकी धूल हटाता।
ब्लैकबोर्ड पर लिखे हुए को,
जल्दी-जल्दी यह मिटाता।।

विद्यालय अच्छा लगता,
पर डस्टर बहुत कष्ट देता है।
पढ़ना तो अच्छा लगता,
पर लिखना बहुत कष्ट देता है।।

दीदी जी तो अच्छी लगतीं,
पर वो काम बहुत देतीं हैं।
छोटी सी गलती पर भी वो,
जस्टर कई जमा देतीं हैं।।

कोई तो उनसे ये पूछे,
क्या डस्टर का काम यहीं है।
कोमल हाथों पर चटकाना,
क्या डस्टर का काम यही है।।

दीदी हम छोटे बच्चे हैं,
कुछ तो रहम दिखाओ ना।
डाँटो भी-फटकारो भी,
पर हमको मार लगाओ ना।।

4 टिप्‍पणियां:

  1. सुन्दर प्रस्तुति-
    आभार गुरुवर

    जवाब देंहटाएं
  2. बेहद प्रभावी चर्चा ,खूबसूरत सेतु चयन संयोजन।

    बहुत खूब !सुन्दर बाल गीत।

    खुद तो धूल भरा होता है,
    लेकिन सबकी धूल हटाता।
    ब्लैकबोर्ड पर लिखे हुए को,
    जल्दी-जल्दी यह मिटाता।।

    जल्दी जल्दी खूब मिटाता।

    जवाब देंहटाएं

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