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13 मई, 2014

"कौआ बहुत सयाना होता" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक")

मेरी बालकृति "नन्हें सुमन" से

 एक बालकविता
"कौआ"

कौआ बहुत सयाना होता।
कर्कश इसका गाना होता।।

पेड़ों की डाली पर रहता।
सर्दी, गर्मी, वर्षा सहता।।

कीड़े और मकोड़े खाता।
सूखी रोटी भी खा जाता।।

सड़े मांस पर यह ललचाता।
काँव-काँव स्वर में चिल्लाता।।

साफ सफाई करता बेहतर।
काला-कौआ होता मेहतर।।

2 टिप्‍पणियां:

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