यह ब्लॉग खोजें

05 मई, 2014

"सब्जी पर मँहगाई भारी" (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')

मेरी बालकृति "नन्हें सुमन" से

 एक बालकविता
♥ ♥सब्जीमण्डी♥ ♥
Vegetable_market_in_Heraklion
देखो-देखो सब्जी-मण्डी।
बिकते आलू,बैंगन,भिण्डी।।

कच्चे केले, पक्के केले।

मटर, टमाटर के हैं ठेले।।

गोभी,पालक,मिर्च हरी है।

धनिये से टोकरी भरी है।।

लौकी, तोरी और परबल हैं।

पीले-पीले सीताफल हैं।।

अचरज में है जनता सारी,

सब्जी पर महँगाई भारी।।

1 टिप्पणी:

केवल संयत और शालीन टिप्पणी ही प्रकाशित की जा सकेंगी! यदि आपकी टिप्पणी प्रकाशित न हो तो निराश न हों। कुछ टिप्पणियाँ स्पैम भी हो जाती है, जिन्हें यथासम्भव प्रकाशित कर दिया जाता है।