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09 मई, 2014

"खरबूजे का मौसम आया" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक")

मेरी बालकृति "नन्हें सुमन" से

 एक बालकविता
"खरबूजों का मौसम आया"
पिकनिक करने का मन आया!
मोटर में सबको बैठाया!!
family_car_250पहुँच गये जब नदी किनारे!
खरबूजे के खेत निहारे!!
_44621951_07melon_afpककड़ी, खीरा और तरबूजे!
कच्चे-पक्के थे खरबूजे!!
prachi&pranjalप्राची, किट्टू और प्रांजल!
करते थे जंगल में मंगल!!

लो मैं पेटी में भर लाया!
खरबूजों का मौसम आया!! 
rcmelonदेख पेड़ की शीतल छाया!
हमने आसन वहाँ बिछाया!!
picknicजम करके खरबूजे खाये!
शाम हुई घर वापिस आये!!

1 टिप्पणी:

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