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02 दिसंबर, 2010

"मम्मी देखो मेरी रेल" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक")

इंजन-डिब्बों का है मेल।
आओ आज बनाएँ रेल।।

इंजन चलता आगे-आगे,
पीछे-पीछे डिब्बे भागे,
सबको अच्छी लगती रेल।
आओ आज बनाएँ रेल।।

मैट्रो ट्रेन बनाई मैंने,
इसको बहुत सजाई मैंने,
मम्मी देखो मेरी रेल।
आओ आज बनाएँ रेल।।

कल विद्यालय में जाऊँगा,
दीदी जी को दिखलाऊँगा,
दो पटरी पर चलती रेल।
आओ आज बनाएँ रेल।।

7 टिप्‍पणियां:

  1. कितनी सुन्दर सजायी रेल
    प्यारी न्यारी आपकी रेल
    करायेगी अपनो से मेल
    छुक चुक कर भागेगी रेल

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  2. बच्चो में उत्साह भारती ये रेल वाली कविता और ड्रोइंग के लिए भी प्रोत्साहित करती रचना .. आपकी रचना बहुत अच्छी लगी .. आपकी रचना आज दिनाक ३ दिसंबर को चर्चामंच पर रखी गयी है ... http://charchamanch.blogspot.com

    जवाब देंहटाएं
  3. बहुत सुन्दर और उत्साहवर्धक बाल कविता।

    जवाब देंहटाएं

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