![Vegetable_market_in_Heraklion Vegetable_market_in_Heraklion](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEh0_r_6cwME9Lql6R9vrPIS_qObpg0fo3YtXWa31zPs_AGnXd93Qqq5-7WHtj6buBUN7tAu_ghJVwDZ6xAmj4GcdtBGaIkMGR1wYHsc91qFB5SkxtZegviFsYRLL0iImW-MV0-oVSelBq_4/?imgmax=800)
देखो-देखो सब्जी-मण्डी,
बिकते आलू,बैंगन,भिण्डी।
कच्चे केले, पक्के केले,
मटर, टमाटर के हैं ठेले।
गोभी,पालक,मिर्च हरी है,
धनिये से टोकरी भरी है।
लौकी, तोरी और परबल हैं,
पीले-पीले सीताफल हैं।
अचरज में है जनता सारी,
सब्जी-मण्डी कितनी प्यारी।
(चित्र गूगल सर्च से साभार) |
बहुत बढ़िया!
जवाब देंहटाएंसुन्दर रचना, आकर्षक प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर रचना।
जवाब देंहटाएंवाह.... आपकी कविता पढ़ कर तो सब सब्जियों के नाम भी याद हो जायेंगे....बहुत सुन्दर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंग़ज़ब की कविता ... कोई बार सोचता हूँ इतना अच्छा कैसे लिखा जाता है .
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